प्रकृति आज मानव से नाखुश। परिवर्तित ऋतु चक्र कर रही। प्रकृति आज मानव से नाखुश। परिवर्तित ऋतु चक्र कर रही।
भूमि का शृंगार तरु है; मिलकर नयी रवानी दें। भूमि का शृंगार तरु है; मिलकर नयी रवानी दें।
आज अगर बहाया जल, तो होगी कल बड़ी विपत्ति। आज अगर बचाया जल, तो ही कल बचेगी प्रकृति।। आज अगर बहाया जल, तो होगी कल बड़ी विपत्ति। आज अगर बचाया जल, तो ही कल बचेगी प्र...
हम भी थे कुछ काम के, हम भी थे कुछ नाम के, कुछ इस कदर बदनाम हुए, जुड़ के तेरे नाम से, हम भी थे कुछ काम के, हम भी थे कुछ नाम के, कुछ इस कदर बदनाम हुए, जुड़ के...
दोस्त नहीं अब हम, दूर है कहीं तू किसी और की बाहों में मेरा भी नसीब चल पड़ा है किसी और दोस्त नहीं अब हम, दूर है कहीं तू किसी और की बाहों में मेरा भी नसीब चल पड़ा ...
हारा हुआ महसूस कर रहे तुम जब, चाह रहे उबरना इस विषम परिस्थिति से देखो गौर से ऊपर निशा हारा हुआ महसूस कर रहे तुम जब, चाह रहे उबरना इस विषम परिस्थिति से देखो गौर ...